क्या ज़मीन क्या आसमां
क्या तुम क्या मैं
एक दिन मिल ही जाना हे
नहीं तो खुद में ही खो जा ना
समंदर की गहराइयो मुझे
या फिर आसमान की उछाइयो मुझे
फ़र्ज़ सिर्फ़ एक जीवन में
बहते रहो लहेरो की तरह
या बढ़ते-गर्जते रहो बादल की तरह
क्या ज़मीन क्या आसमां
क्या तुम क्या मैं
एक दिन मिल ही जाना हे
नहीं तो खुद में ही खो जा ना
समंदर की गहराइयो मुझे
या फिर आसमान की उछाइयो मुझे
फ़र्ज़ सिर्फ़ एक जीवन में
बहते रहो लहेरो की तरह
या बढ़ते-गर्जते रहो बादल की तरह