ऋषिकेश की बात ही कुछ अलग थी,
अदभुत थी, आध्यात्मिक थी
खोज में चले थे थोड़ी सी ख़ुशी,
लेकर चले जीवन की पुंजी
गंगा की बहती धारा, गोविंद की माला,
सात्विक सत्व अन्न, पवित्र निर्मल जल
बाबा ओ का मेला, योगी ओ का लीला,
सन्तुष्ट करती गंगा, सबकी अभिलाषा
ऋषिकेश की बात ही कुछ अलग थी,
अदभुत थी, आध्यात्मिक थी
खोज में चले थे थोड़ी सी ख़ुशी,
लेकर चले जीवन की पुंजी
गंगा की बहती धारा, गोविंद की माला,
सात्विक सत्व अन्न, पवित्र निर्मल जल
बाबा ओ का मेला, योगी ओ का लीला,
सन्तुष्ट करती गंगा, सबकी अभिलाषा